जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए।।
जब काँधे पे मैं कावड़ उठाऊँ,
उससे मैं जितना पुण्य कमाऊँ,
उसको रखू मैं बचाके आशीर्वाद के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए।।
इन काँधों में ऐसी तू शक्ति भरदे,
आखरी समय में उनकी सेवा करदे,
काम मुश्किल ये नहीं है भोलेनाथ के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए।।
कावड़ हो या अर्थी भोले आए तेरे पास हो,
‘बनवारी’ तेरे ऊपर इतना तो विश्वास हो,
तेरा कावड़िया ना तरसे सर पे हाथ के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए।।
जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए।।
स्वर – सौरभ मधुकर जी।