जिस नाव पे बैठा मैं,
जर्जर है पुरानी है,
कही डूब न जाऊं प्रभु,
तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मै,
जर्जर है पुरानी है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
संसार तो सागर है,
सागर बड़ा गहरा है,
मोह माया के मोती है,
रंग जिनका सुनहरा है,
लालच में फसा मन कहे,
तुम्हे डुबकी लगानी है,
कही डूब न जाऊं प्रभु,
तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मै,
जर्जर है पुरानी है।।
पतवार है स्वारथ की,
मेरे हाथो नहीं संभले,
तूफान है तानो के,
मेरी नेकी के बदले,
हे दुःख के भवर में फसी,
तुम्हे पार लगानी है,
कही डूब न जाऊं प्रभु,
तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मै,
जर्जर है पुरानी है।।
जिसका तू माझी है,
वो डूब नहीं सकता,
भव पार लगे नैया,
मिल जाता है रस्ता,
‘चोखानी’ की अर्जी पे,
करूणा बरसानी है,
‘गौतम’ की अर्जी पे,
करूणा बरसानी है,
कही डूब न जाऊं प्रभु,
तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मै,
जर्जर है पुरानी है।।
जिस नाव पे बैठा मैं,
जर्जर है पुरानी है,
कही डूब न जाऊं प्रभु,
तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मै,
जर्जर है पुरानी है।।
Singer – Gautam Rathor