जिस पर भी ओ बाबा,
तेरा रंग चढ़ जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
तर्ज – सावन का महीना।
भर भर के प्याला वो तो,
पिए तेरे नाम का,
इसको सुहाना लागे,
रस्ता खाटू धाम का,
तेरे ही तो पथ पर,
वो चलता जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
धीरे धीरे बन जाता,
तेरा वो दीवाना,
मस्ती में गाता रहता,
तेरा ही तराना,
जहाँ कही भी जाए,
तेरे गुण गाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
तेरे प्रेमियो से करता,
सदा मुलाक़ते,
रास ना आते उनको,
दुनिया की बाते,
झूठी दुनिया दारी,
से वो घबराता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
चरणों में विनती है,
श्याम सुन लीज़िए,
‘बिन्नु’ को मिलाते रहे,
ऐसी ही विभूति से,
उन संतो से मिलकर,
बड़ा आनंद आता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
जिस पर भी ओ बाबा,
तेरा रंग चढ़ जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
Singer : Anjanli Dwiwedi