जितना भी परखो बाबा,
विश्वास ये ना हारे,
वाकिफ है हमसे सारे,
अंदाज ये तुम्हारे,
जितना भी परखों बाबा,
विश्वास ये ना हारे।।
जबसे तुम्हे ओ बाबा,
पहचानने लगा हूँ,
क्या चीज है भरोसा,
अब जानने लगा हूँ,
हालात वक्त सुख दुःख,
सब खेल है तुम्हारे,
वाकिफ है हमसे सारे,
अंदाज ये तुम्हारे,
जितना भी परखों बाबा,
विश्वास ये ना हारे।।
नैया डिगे भले ही,
अंतस ना डीग रहा है,
लहरों के बिच भी तू,
उस पार दिख रहा है,
हम जानते है तेरे,
मिलने को है सहारे,
वाकिफ है हमसे सारे,
अंदाज ये तुम्हारे,
जितना भी परखों बाबा,
विश्वास ये ना हारे।।
ना मुश्किलों से डरते,
ना झुकेंगे जग के आगे,
डर के बुरे समय से,
तेरे भक्त कब है भागे,
‘निर्मल’ झुके है बस एक,
सरकार तेरे आगे,
वाकिफ है हमसे सारे,
अंदाज ये तुम्हारे,
जितना भी परखों बाबा,
विश्वास ये ना हारे।।
जितना भी परखो बाबा,
विश्वास ये ना हारे,
वाकिफ है हमसे सारे,
अंदाज ये तुम्हारे,
जितना भी परखों बाबा,
विश्वास ये ना हारे।।
स्वर – संजू शर्मा जी।