जो हारा सांवरे जग से,
तू हारे का सहारा है,
मेरी इस डूबती नैया का,
का तू ही किनारा है,
जमाने ने ठुकराया,
संभालो सांवरे मोहन,
हे माझी तू ही तो सबका,
तू ही सबका किनारा है,
जो हारा साँवरे जग से,
तू हारे का सहारा है।।
तर्ज – जरुरी था।
सुनी है सांवरे तेरी,
बड़ी महिमा ये भारी है,
ओ मेरे शीश के दानी,
ये माने दुनिया सारी है,
तुझे तो सांवरे इस सारे ही,
कलयुग ने पूजा है,
मेरे घनश्याम सा ना दुनिया में,
ना कोई देव दूजा है,
कदम तुम जो बढ़ाओ तो,
ये दौड़ा आएगा झट से,
मेरे घनश्याम ने पापी,
से पापी को कभी तारा है,
जो हारा साँवरे जग से,
तू हारे का सहारा है।।
जो दिल में आस लेकर के,
श्याम बाबा पे जाएगा,
वो रोता जाएगा दर पे,
मगर हसता वो आएगा,
ये काटे पाप सबके,
दूर करता है अंधेरों को,
करेगा मुक्त बंधन से,
जनम मरणों के फैरों को,
बना ले श्याम से रिश्ता,
‘दीपक सूफी’ तू पागल,
बने जो श्याम का पागल,
मेरे बाबा का प्यारा है,
जो हारा साँवरे जग से,
तू हारे का सहारा है।।
जो हारा सांवरे जग से,
तू हारे का सहारा है,
मेरी इस डूबती नैया का,
का तू ही किनारा है,
जमाने ने ठुकराया,
संभालो सांवरे मोहन,
हे माझी तू ही तो सबका,
तू ही सबका किनारा है,
जो हारा साँवरे जग से,
तू हारे का सहारा है।।
स्वर – दीपक सूफी।