जो कोई माहिर होई भजन में,
हरभज लावा लीजे,
सन्त मिले जठे हरि गुण गाजे,
भर भर अमृत पीजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
तन मन शिश गुरु के अर्पण,
ज्ञान कडग ले लीजे,
मन में वीरता धारण कर ले,
कायर कपटी भाजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
शूरवीर सोरण में लड़सी,
कायर दूरा भाजे,
सूरा का शीश पडया धरनी पर,
खेत जीते नहीं भाजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
जीत जात कर खेत संम्भाल्या,
माल बहुत सा पाजे,
दुश्मन दूंरा भागे जगत का,
बौध गुरु बर्ताजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
हीरानंद गुरु की कृपा अनहद,
शून्य में रीजे,
संत सन्यासी भवरण जीते,
जीवन मुक्ति साजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
जो कोई माहिर होई भजन में,
हरभज लावा लीजे,
सन्त मिले जठे हरि गुण गाजे,
भर भर अमृत पीजे,
संता हरभज लावा लीजे।।
गायक / प्रेषक – बाबूलाल प्रजापत।
9983222294