जो सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं,
हे कष्णा हे मोहना,
तेरे नाम है कई,
तेरे नाम है कई,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
तर्ज – ये दुनिया ये महफ़िल।
कैसे करूँ बखान प्रभू,
मै द्वार का,
कर न सका बखान कोई भी,
द्वार का,
मुझको मिले शरण जो,
प्रभू तेरे द्वार पे,
करके दया ओ मोहन,
थोड़ा सा प्यार दे,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
चाहूँ न कुछ प्रभू जी,
चरणो की रज़ मिले,
चरणों की तेरे मुझको,
सेवा सदा मिले,
हैं आरजू यही बस,
दर्शन तेरे मिले,
दर्शन मै तेरे पाऊँ,
आँखें ये जब खुले,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
जग का हूँ मारा प्रभू,
कोई न मेरा है यहां,
तू ही बतादे प्रभू,
जाऊँ तो जाऊँ मै कहाँ,
ना कोई जग मे आसरा,
ले सपना तेरी आश का,
आया हूँ तेरे द्वार पे,
ठुकरा दे या अपना बना,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
दूर निगाहों से,
करना ना मुझको हे प्रभू,
तेरी कृपा बिन जग मे,
रहना न मुझको हे प्रभू,
तू तार मुझे या मार दे,
अब जीवन तेरे हाथ है,
नहीं और तमन्ना है मेरी,
बस “शिव” को भव से तार दे,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
जो सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं,
हे कष्णा हे मोहना,
तेरे नाम है कई,
तेरे नाम है कई,
जों सुख है तेरे दर पे,
किसी धाम पे नहीं,
किसी धाम पे नहीं।।
गायक – राजीव जी तोमर।
– लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण जी वर्मा।
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