जोगन आज तिहारी,
घनश्याम हो गई।
दोहा – जोगनियां का भेष बनाके,
तुम्हे पुकारूं मोहन,
रखलो लाज मेरी कान्हा,
बन गई तेरी जोगन।
जोगन आज तिहारी,
घनश्याम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
तर्ज – छुप गए सारे नज़ारे।
सुन मेरे कान्हा तुम्हीं को है पाना,
कहे चाहे कुछ भी जमाना,
जिस दिन हमको तुम्हारा दर्शन होगा,
उस दिन मेरा सफल जीवन होगा,
मेरी और तुम्हारी राम राम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
ध्यान लगाऊं चरण चित लाऊं,
चरण चित लाऊं तिहारे,
तेरा सुमिरन भजन मेरा धन होगा,
पल पल ह्रदय में तेरा पूजन होगा,
मेरी रंग रंगीली सुबह शाम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
तुमसे है यारी हुई है हमारी,
कहूं सच कृष्ण मुरारी,
अब तो तू ही हमारा सजन होगा,
तेरा वंदन तेरा ही पूजन होगा,
तू मेरा मै तेरी बाते आम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
छोड़ न देना खबर मेरी लेना,
सुनो मेरी कृष्ण मुरारे,
मेरा हृदय अब तेरा वृंदावन होगा,
मन का आंगन तुम्हारा मधुबन होगा,
रग रग आज हमारी ब्रज का धाम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
जोगन आज तुम्हारी मैं,
घनश्याम हो गई,
अब तो सांसे हमारी,
तेरे नाम हो गई।।
स्वर – अशोकानंद जी महाराज।
प्रेषक – डॉ. सजन सिंह सोलंकी।
9111337188