जोगिया सत शब्द लो भेवा,
भजो देव सिर देवा।।
सुखदेव जैसा कौन था जग में,
जनमत छोड़ सब दिया,
जोया मुक्ति त्याग में होती,
जनक गुरु क्यों किया,
सत शब्द लो भेवा जोगी।।
पांचो पांडव छटा नारायण,
सर्व सती कहलाया,
जोया मुक्ति सत में होती,
तो वाल्मिक क्यों लाया,
सत शब्द लो भेवा जोगी।।
जोया मुक्ति तपस्या में होती,
तो नासकेत क्यों लाया,
वन का ऋषि शक्ल ही मिलकर,
उद्यालक घर आया,
सत शब्द लो भेवा जोगी।।
हसतामल मुखां नहीं बोलिया,
वर्ष द्वादश ताई,
जोया मुक्ति मोन में होती,
दत्तात्रेय पास क्यों जाई,
सत शब्द लो भेवा जोगी।।
वेद कुराण पुराण अट्ठारह,
सिद्ध साध्द की वाणी,
कहे सुखराम भेद बिना भजिया,
छाछ उपरला पानी,
सत शब्द लो भेवा जोगी।।
जोगिया सत शब्द लो भेवा,
भजो देव सिर देवा।।
भजन गायिका – संत नैनी बाई खारिया।
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