देखा सीखी में सब कोई भूल गया,
भूलत में भूलोणा,
जोगियो वरता मण्डप मंडोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
कोई केवे शैश नाग ने,
सायब जण पर धरण ठहरोणा,
चांद सूरज ने बिजली तारा,
एही कूड़ा कमठोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
कोई केवे बोलते पुरुष में सायब,
पवन पुरुष है पुरोणा,
आवत जावत करे पियोणा,
दोई सुरों में अटकोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
कोई केवे अनिल पुरुष में सायब,
जल में ही जल ठहरोणा,
जल में सायब वे तो जल क्यों सूखे,
ऐही कूड़ा कामठोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
सत वचनों ने हर कोई मोने,
राजा रंक ने रोणा,
रोयल केवेे मोनो वचन हमारा,
ठावा वतावूं ठिकोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
देखा सीखी में सब कोई भूल गया,
भूलत में भूलोणा,
जोगियो वरता मण्डप मंडोणा,
जोगियों वरता मण्डप मंडोणा।।
गायक – लक्ष्मण तंवर।
प्रेषक – दिनेश पांचल बुड़ीवाड़ा।
8003827398