काहे कन्हैया तुमको,
तनिक सुध नाही,
लाखों पापी तारे,
क्या मेरी बारी नाही।।
तर्ज – काहे सैयां तेरी मेरी।
तन प्रभु तेरा मन भी ये तेरा,
मेरा तो कुछ भी न दिया सब तेरा,
तेरा तुझे सौपूं प्रभु जी,
मेरा कुछ नाही,
लाखों पापी तारे,
क्या मेरी बारी नाही।bd।
आज सफल हुआ जनम हमारा,
सतगुरु का जो मिल गया द्वारा,
गुरु मिले गोविंद मिल गए,
अब तो फिकर नाही,
लाखों पापी तारे,
क्या मेरी बारी नाही।।
गणिका गीध अजामिल तारे,
सदन कसाई के बन गए प्यारे,
‘राजू’ खड़ा दर पर तेरे,
मुझपे नजर नाही,
लाखों पापी तारे,
क्या मेरी बारी नाही।bd।
काहे कन्हैया तुमको,
तनिक सुध नाही,
लाखों पापी तारे,
क्या मेरी बारी नाही।।
लेखक / गायक – राजू बिदुआ।
मो. 9179117103
बहुत अच्छा भजन एक दुखिया अपनी पीड़ा बाबा को सुनता है