काट दिए मेरा रोग भुतड़े,
बोलं सिर चढ़कं बोलं सिर चढ़कं,
तेरा भवन मन्नै लिया स बाबा,
सुणले गिर पड़ कः।।
तेरे चरणां में अर्जी लादी,
और लादी दरखास मन्नै,
पेशी के दो लाडु खाए,
जब आया विस्वास मन्नै,
जब तन्नै बाबा सोटा ठाया,
दिल धड़क धड़क धड़के।।
होए पड़ोसी भी तंग बाबा,
मेरी बिमारी तं,
बालक भी रहं डरे डरे,
इनकी किलकारी तं,
सांस नन्द कहं पाखंडी,
या पिटै पाकड़ क।।
सयाणां ने चौराहे पुजे,
पुजवाए समसाण,
सतबीर भक्त ने बालाजी,
फेर दिवाया ध्यान,
वो बोलया मेंहदीपुर जा क्युं,
जगह जगह भटके।।
काट दिए मेरा रोग भुतड़े,
बोलं सिर चढ़कं बोलं सिर चढ़कं,
तेरा भवन मन्नै लिया स बाबा,
सुणले गिर पड़ कः।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार जी।
खरक जाटान(रोहतक)
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