कब थामोगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा, हाथ ये मेरा,
कब थामोंगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा।।
तर्ज – लो आ गयी उनकी याद।
बालक हूँ मैं तुम्हारा,
तेरा ही आसरा है,
तेरा सिवा जहां मैं,
कोई न दूसरा है,
जग चाहे छूट जाए,
छुटे ना साथ तेरा,
कब थामोंगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा।।
तेरी कृपा से बाबा,
हर काम मेरा बनता,
तेरी दया पे बाबा,
परिवार मेरा पलता,
तेरे ही रहते क्यो है,
जीवन मे ये अंधेरा,
कब थामोंगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा।।
है दिलीप को बिठाना,
चरणों मे श्याम बाबा,
दर पे तुम्हारे बीते,
जीवन मेरा ये बाबा,
सर पर रहे सदा ही,
कृपा का हाथ तेरा,
कब थामोंगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा।।
कब थामोगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा, हाथ ये मेरा,
कब थामोंगे आके श्याम,
हाथ ये मेरा।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप अग्रवाल (कासगंज)
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