कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
तर्ज – कभी आर कभी पार लागे तीरे नजर
कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
कभी अवध पूरी रे कभी गोकुल नगर।।
भारत की भूमि को करने पवित्र आये है,
भारत की भूमि को करने पवित्र आये है,
राजा दशरथ के घर करने चरित्र आये है,
घर को छोड़ा वन में आये,
अपने पिता के वचन निभाए,
जग में कहलाये राजा राम,
कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
कभी अवध पूरी रे कभी गोकुल नगर।।
द्वापर युग में वो नन्दलाल बन आये है,
द्वापर युग में वो नन्दलाल बन आये है,
गव्वो के रक्षक हो गोपाल बन आये है,
ब्रज में वो लीला दिखलाये,
लूट लूट के माखन खाये,
माखनचोर भयो नाम,
कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
कभी अवध पूरी रे कभी गोकुल नगर।।
भक्ति के वश हो रघुवर झुटे बेर खाये है,
भक्ति के वश हो रघुवर झुटे बेर खाये है,
बन श्याम सुदामा के सूखे चावल खाये है,
बन बैठे मेहमान विदुर के,
बिच पहुचे वो हस्तिनापुर में,
पांडवो का ले पैगाम,
कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
कभी अवध पूरी रे कभी गोकुल नगर।।
भक्तो पे भीड़ बनी हर एक भक्त का काज किया,
भक्तो पे भीड़ बनी हर एक भक्त का काज किया,
आया था विभीषण पास तो लंका का राज दिया,
वो मन मोहन मुरली वाला,
बन बैठा है खाटू वाला,
श्याम बाबा है जिनका नाम,
कभी राम कभी श्याम बने भक्तो के घर,
कभी अवध पूरी रे कभी गोकुल नगर।।