कह दो कारे से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन,
गये क्यों मुझको रुलाए के,
कह दो कारे से,
मुरलिया वारे से।।
तर्ज – हम तुम चोरी से।
सखियों ने समझाया,
मैने किया कभी ना गौर,
माखन तेरा बहाना,
तू है रे दिल का चोर,
कहाँ गए ओ साँवरे ओ बांवरे,
मेरी निन्दिया चुराय के
कह दो कारें से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन।।
ले के नाम तुम्हारा,
सब हो जाए भव पार,
मैं तो सदा तुम्हारी फिर,
क्यों छोड़ा मझधार,
चल दिए क्यों छोड़ के,
दिल तोड़ के,
मुझको भुलाए के,
कह दो कारें से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन।।
लगती थी कभी सौतन,
वो लगती है अब प्यारी,
आकर आज सुना दे,
तेरी बंसी ओ बनवारी,
बैठी हुँ राह में,
तेरी चाह में,
पलकें बिछाए के,
कह दो कारें से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन।।
राधे कृष्ण का जग में,
हर कण कण नाम पुकारे,
जब हों दोनों संग में,
हर नैना हमें निहारे,
“जालान ” को ज्ञान दो,
वरदान दो,
सेवक बनाए के,
कह दो कारें से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन।।
कह दो कारे से,
मुरलिया वारे से,
काहे मिलाए थे नैन,
गये क्यों मुझको रुलाए के,
कह दो कारे से,
मुरलिया वारे से।।
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पवन जालान 9416059499 ने प्रेषित किया।
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