कहा मीरा ने गिरधर से,
तुम्हारे नाम रंग रंग रंग के,
चुनरिया ओढ़ ली मैने,
लगन तुमसे लगा बैठी,
तुम्हे अपना बना बैठी,
नजरिया जोड़ ली मैने,
चुनरिया ओढ़ ली मैने।।
ईधर जाती उधर जाती,
ना जाने मैं कहाँ जाती,
अगर गुरुवर नहीं मिलते,
कहाँ से तुमको मैं पाती,
तेरा संकीर्तन सुनके,
तेरा भजन कर करके,
डगरिया मोड़ ली मैने,
चुनरिया ओढ़ ली मैने।।
मैं जोगन हूं पूजारन हूं,
मैं कान्हा की सुहागन हूं,
उसी में मैं खोई रहती हूं,
उसी में मैं मगन मन हूं,
हरि दर्शन हरि पुजन,
हरि का नाम गुन गुन गुन के,
नगरिया छोड़ दी मैंने,
चुनरिया ओढ़ ली मैने।।
वो नैनो में समाया है,
वो ह्रदय में समाया है,
ओ आठों याम संग मेरे,
मेरा साथी है साया है,
सिवा उसके जमाने में,
यहां अपना नहीं कोई,
खबरिया तोल ली मैने,
चुनरिया ओढ़ ली मैने।।
कहा मीरा ने गिरधर से,
तुम्हारे नाम रंग रंग रंग के,
चुनरिया ओढ़ ली मैने,
लगन तुमसे लगा बैठी,
तुम्हे अपना बना बैठी,
नजरिया जोड़ ली मैने,
चुनरिया ओढ़ ली मैने।।
स्वर – अशोकानंद जी महाराज।
प्रेषक – डॉ सजन सोलंकी।
9111337188