कहो जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर,
अवगुन भरा शरीर मेरा,
अवगुण भरा शरीर,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
अंका तारे बंका तारे,
तारे सज्जन, कसाई,
सुआ पढ़ावत गणिका तारी,
तारी मीरा बाई,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे,
और गजराज उबारे,
नरसी जी को भात भरायो,
रूप साँवरो धारे,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
धन्ना भगत को खेत भरायो,
नानक चान चबाई,
सेन भगत का सासा मेट्या,
आप बने हरि नाई,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
काशी के हम वासी कहिये,
नाम है मेरा कबीरा,
करनी करके पार उतर जा,
जात परन कुल हीरा,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
कहो जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर,
अवगुन भरा शरीर मेरा,
अवगुण भरा शरीर,
कहों जी कैसे तारोगे मेरे राम,
मेरा अवगुण भरा शरीर।।
स्वर – श्री मुरलीधर महाराज जी।