महल देख्या गोरा गट,
लोग लुगाई काला कट्ट,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
काई बताऊं गढ़ लंका की,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
फौजा देखी लाखा पार,
हाथी भर का छे मोट्ट्यार,
वाने मारवा में मजो घनों,
आयो म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
बैठयो बैठ्यो रटतो राम,
विभीषण थो बिको नाम,
एडा महात्मा का दर्शन कर,
आयो म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
पच्छे देखी सीता मात,
बेगी ल्याओ जोडूं हाथ,
वांकी गोदी में मुंदडी,
पटक्यायो म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
रावण लिन्हो महल बुलाई,
आग पूंछ में दियो लगाई,
सारी लंका ने राख करी,
आयो म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
वाह रे वाह बजरंगी वीर,
गले लगा बोल्या रघुवीर,
हो नैया मालूणी की पार,
करी आयो म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
महल देख्या गोरा गट,
लोग लुगाई काला कट्ट,
समदरियो हिलोरा लेवे म्हारा राम,
काई बताऊं गढ़ लंका की,
कांई बताऊं गढ लंका की।।
लेखक – राम कुमार मालुनी।
गायक – हर्षित लोहार।
प्रेषक – देव वैष्णव नवानियाँ।
8829925454