कैसा प्यारा ये दरबार है,
जहाँ भक्तो की भरमार है,
सबके मालिक ये सरकार है,
जिनकी दुनिया को दरकार है,
कैसा प्यारा ये दरबार हैं।।
तर्ज – ये तो सच है की भगवान है।
तेरे दरबार में,
सबको हर सुख मिले,
तेरी किरपा से ही,
श्याम जीवन चले,
ऐसी दानी है दातार है,
सब के भर देते भंडार है,
सबके मालिक ये सरकार है,
जिनकी दुनिया को दरकार है,
कैसा प्यारा ये दरबार हैं।।
श्याम साथी हो तो,
काम अटके नही,
और मजधार में,
कभी भटके नहीं,
अपने भक्तो पे करने दया,
रहते हर दम ये तैयार है,
सबके मालिक ये सरकार है,
जिनकी दुनिया को दरकार है,
कैसा प्यारा ये दरबार हैं।।
जो भी आए यहाँ,
सच्चे विश्वाश से,
खाली लौटे नहीं,
दानी के पास से,
‘ओम’ चरणों में संसार है,
यहाँ अमृत की बौछार है,
सबके मालिक ये सरकार है,
जिनकी दुनिया को दरकार है,
कैसा प्यारा ये दरबार हैं।।
कैसा प्यारा ये दरबार है,
जहाँ भक्तो की भरमार है,
सबके मालिक ये सरकार है,
जिनकी दुनिया को दरकार है,
कैसा प्यारा ये दरबार हैं।।
स्वर – मयंक अग्रवाल।