कैसा सुन्दर सजा है दरबार,
गणपति बाबा का,
सारे मिल के करो जयकार,
गणपति बाबा का,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
कितनी बार देखा मेरा,
दिल नहीं भरता,
अद्भुत दिव्य श्रृंगार,
गणपति बाबा का,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
गणपति बाबा मेरे,
नैनो की ज्योति,
सारे भक्तो के है सरदार,
गणपति बाबा जी,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
नित उत्सव नित,
मंगल करते,
सारे भक्तो के रखवार,
गणपति बाबा जी,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
भक्तो को निज,
चरणे रखियो,
‘राजीव’ नु चरणे लाई रखियो,
करते रहे गुणगान,
गणपति बाबा का,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
कैसा सुन्दर सजा है दरबार,
गणपति बाबा का,
सारे मिल के करो जयकार,
गणपति बाबा का,
कैसा सुंदर सजा हैं दरबार,
गणपति बाबा का।।
स्वर – राजीव शास्त्री जी।
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