कैसी आई है महामारी,
कैसी आई है,
सबके जीवन में आज,
देखो यह पहली बार,
संदेशा मौत का लाई है,
कैसी आई है आई है,
कैसी आई है,
कैसी आई है बीमारी,
कैसी आई है।।
तर्ज – चिट्ठी आई है आई है।
पिछले बरस जब जन्म लिया था,
तेरा नाम कोरोना दिया था,
किसने तुझको पैदा किया था,
जन्म जन्म का बदला लिया था,
एक बरस का जब तू हुआ है,
रूप नया तूने क्यों लिया है,
मौत का ऐसा नाच किया है,
घर घर को बर्बाद किया है,
सब को समझाते हैं,
खुद समझ ना पाते हैं,
बहुत ज्यादा घबराते है,
कैसी आई है,
कैसी आई हैं महामारी,
कैसी आई है।।
शमशानो में लगे हैं मेले,
ऐसे डाले तूने झमेले,
अपना हो या चाहे पराया,
अंतिम दर्शन कर भी ना पाया,
सूने पड़े सब गली गलियारे,
सहमे हुए हैं मेहल्ले सारे,
लाइलाज तू हुआ यूं कैसे,
तुझसे निजात अब पाएं कैसे,
जीवन अपना कैसे बचाएं,
मारके तुझके कैसे भगाए,
किस्मत को रोते रहते हैं,
दिन को चैन ना रात सोते हैं,
कैसी आई है,
कैसी आई हैं महामारी,
कैसी आई है।।
चीन वुहान में तू आया था,
कौन तुझे भारत लाया था,
हाहाकार मचा दी तूने,
घूम रहा तू सांसे छीने,
भाई से तू बहनों को छीना,
बहनों से छीन लिए तूने भाई,
माता रोती है बेटे को,
बेटा देता मां की दुहाई,
बाप का सीना फटा जाता है,
अब न सितम ये सहा जाता है,
तोड़ दिए तूने सब बंधन,
भूले दिवाली रक्षाबंधन,
मुंह पर मास्क लगा बैठे हैं,
सब अपनों को भुला बैठे हैं,
मत तड़पाओ तुम अब हमको,
छोड़ चले जाओ हम सबको,
मत तड़पाओ तुम अब हमको,
छोड़ चले जाओ हम सबको,
कैसी आई है,
कैसी आई हैं महामारी,
कैसी आई है।।
कैसी आई है महामारी,
कैसी आई है,
सबके जीवन में आज,
देखो यह पहली बार,
संदेशा मौत का लाई है,
कैसी आई है आई है,
कैसी आई है,
कैसी आई है बीमारी,
कैसी आई है।।
गायक / प्रेषक – लक्ष्मी नारायण आचार्य।
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