कैसी लागी चुनरी माँ,
बोलो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
मनड़े रा तारा चिपकाया,
भावना रो गोटो,
हल्की भारी मत ना देखो,
इक बार ओढ़ के देखो,
टाबरिया रो मान मैया,
राखो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
लाल हरी पीली केसरिया,
सतरंगी रंगवा द्या,
बोलो जैसी दाय आवे,
वैसी ही बणवा द्या,
जयपुरिये रंगाई मैया,
निरखो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
मैया थारी लाल चुनरिया,
बहुत बड़ी बलकारी,
शुंभ निशूंभ दनुज संहारया,
महीसासुर ने मारी,
माँ थारो श्रृंगार चुनड़िया,
निरखो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
ओढ़ चुनरिया मैया म्हाने,
बनड़ी जैसा लागो,
‘शुभम रूपम’ मैया म्हाने,
हिवड़े से प्यारा लागो,
हाथ दया रो सिर पे म्हारे,
राखो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
कैसी लागी चुनरी माँ,
बोलो तो सही,
ल्याया थारा टाबरिया माँ,
ओढ़ो तो सही,
कैसी लागी चुनड़ी माँ।।
स्वर – शुभम रूपम।