कईया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये,
दोहा – समय बड़ा बलवान है,
नही पुरूष बलवान,
भीलन लुटी गोपिका,
वही अर्जुन वही बाण।।
कईया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये,
लिखणा पढ़णा, लिखना ये,
लिखणा पढ़णा, लिखना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
बड़ पीपल के पान न लिखिया,
नागर बेल के फल ना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
सोना माहि सुगंध ना दीन्ही,
कस्तुरी मे रंग ना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
ओगड़ नारी के पांच पुत्र है,
पतिव्रता के सुत ना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
तुलसी दास विधाता से अर्जी,
उलट पलट थारी रचना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
कईया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये,
लिखणा पढ़णा, लिखना ये,
लिखणा पढ़णा, लिखना ये,
कैया भुली बेमाता म्हारी लिखणा ये।।
Singer – Dharmendar gawadi
प्रेषक – राधाकिशन सैनी सिरस
9828440693