काला काला मंदिर काली काली चुनरी,
काला काला तेरा शरीर,
कालका आण बंधाईए धीर,
तेरे भक्त ने तेरी जोत प,
पड़या बहावणा नीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
तेरी जोत प संकट खेलः,
जगा दिए री तकदीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
एक हाथ में खपर लेरी,
दुजे में समसीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
तेरा काली भोग लगाऊं,
समसाणां मेंं बणा खीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
संकट बैरी बुबकारः,
मेरःलगं कसुते री तीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
अंगारी प छीटा दे दिया,
या स भेठ अखीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
दरबारां मेंं अकड़या भेठया,
रेवाड़ी का हीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
आज तलक तन्नै काटी स,
सदा संकट की जंजीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
पान और पेड़ा लौंग सुपारी,
दयूंगा सिर का चीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
अशोट भक्त प हाथ धरया,
तन्नै करया भक्ति में शीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
भोग लिए बिना आवः,
ना मैं जाणु तेरी तासीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
काला काला मंदिर काली काली चुनरी,
काला काला तेरा शरीर,
कालका आण बंधाईए धीर,
तेरे भक्त ने तेरी जोत प,
पड़या बहावणा नीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579
https://youtu.be/6hMLvX9vj04