कलाई पकड़ ले पकड़ता ना कोई,
पकड़ता ना कोई,
तेरे दर पे आके मेरी आँख रोई,
मेरी आँख रोई,
कलाई पकड़ ले पकडता ना कोई,
पकड़ता ना कोई।।
तर्ज – मोहब्बत की झूठी कहानी पे।
जिनको भी दिल के दुखड़े सुनाए,
वही मेरे अपने हुए सब पराए,
तेरी आस की मैने माला पिरोइ,
कलाई पकड़ ले पकडता ना कोई,
पकड़ता ना कोई।।
बड़ी है मुसीबत बताया ना जाए,
अब बोझ दुःख का उठाया ना जाए,
गमे आँसु से तेरी चौखट भिगोई,
कलाई पकड़ ले पकडता ना कोई,
पकड़ता ना कोई।।
अगर है दयालु दया अब दिखादे,
तेरे ‘हर्ष’ की रोती आँखे हसा दे,
सिवा तेरे दुनिया में दूजा ना कोई,
कलाई पकड़ ले पकडता ना कोई,
पकड़ता ना कोई।।
कलाई पकड़ ले पकड़ता ना कोई,
पकड़ता ना कोई,
तेरे दर पे आके मेरी आँख रोई,
मेरी आँख रोई,
कलाई पकड़ ले पकडता ना कोई,
पकड़ता ना कोई।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
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