कालो की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली,
कलकत्ता वाली भवानी माई काली,
महिमा तुम्हारी निराली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
हे अंगारों जैसे नयन लाल लाल,
अधरों की लाली गले मुंडमाल,
जा लम्बी जीभ निकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली,
कालों की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
आगे है हनुमत जी झंडा संभाले
पीछे है कुकर संग भैरव मतवाले,
बिच में विकराल रूप वाली,
भवानी मोरी कलकत्ता वाली,
कालों की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
दानव दलन करे दुष्टों को मारे,
काली की शक्ति जगत जन के तारे,
हाथो में भारी भुजाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली,
कालों की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
काली की शक्ति को जिसने भी जाना,
‘मोनी’ दीवाना हुआ उसका जमाना,
दुष्टों से देश करो खाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली,
कालों की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
कालो की काल महाकाली,
भवानी माई कलकत्ता वाली,
कलकत्ता वाली भवानी माई काली,
महिमा तुम्हारी निराली,
भवानी माई कलकत्ता वाली।।
गायक – मनीष जी अग्रवाल।
प्रेषक – जी. माधव राव।
8109118693
Bahot hi pyara geet hai manish ji je gaya bhi bahut bakhoobi se hai
shandar bhajan