कलयुग में आजा,
कृष्ण मुरारी,
रो रो पुकारे कान्हा,
गैया तुम्हारी,
कलयुग मे आजा।।
तर्ज – सागर किनारे।
कौन सुने हम किसको सुनाये,
पीड़ा हमारी ये किसको बताये,
भूखी प्यासी भटके,
सुध लो हमारी।
कलयुग मे आजा,
कृष्ण मुरारी,
रो रो पुकारे कान्हा,
गैया तुम्हारी,
कलयुग मे आजा।।
‘दिलबर’ करो गौ माँ की पूजा,
प्रथम हो गौसेवा फिर काम हो दूजा,
“नयाल सनातनी” बोले,
सुनो नर नारी।
कलयुग मे आजा,
कृष्ण मुरारी,
रो रो पुकारे कान्हा,
गैया तुम्हारी,
कलयुग मे आजा।।
कलयुग में आजा,
कृष्ण मुरारी,
रो रो पुकारे कान्हा,
गैया तुम्हारी,
कलयुग मे आजा।।
गायक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र.
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