कण कण में तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है,
तारो में चमक तेरी,
चंदा में नजारा है।।
जबसे मेरे गुरुवर का,
मन में परकाश हुआ,
मैं जान गया घट में,
प्रभु वास तुम्हारा है,
कण कण मे तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है।।
मैं खेल समझता था,
दुनिया के झमेले को,
कर दिया गुरु ने दूर,
मन से अँधियारा है,
कण कण मे तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है।।
जग झंझट छूट गए,
ये करम है सतगुरु का,
हमें गुरु भी प्यारा है,
गोविन्द भी प्यारा है,
कण कण मे तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है।।
सांसो में बसा गुरुवर,
धड़कन में बसा दाता,
अब मौत से क्या डरना,
जब गुरु का सहारा है,
कण कण मे तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है।।
तेरे दास की है विनती,
बस एक तमन्ना है,
जब रूठे ना तुम रूठो,
मेरा कहाँ गुजारा है,
कण कण मे तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है।।
कण कण में तेरा जलवा,
कुदरत का इशारा है,
तारो में चमक तेरी,
चंदा में नजारा है।।