कान्हा आवो तो,
मनड़े री बात करल्याॅं,
थारी बातड़ल्याॅं में जीवड़ो,
निहाल करल्याॅं,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं,
आजा रे आजा रे,
मनमोहन प्यारा
आया सरसी,
मनड़े़ री प्यास को,
बुझाया सरसी,
मनड़े री प्यास को,
बुझाया सरसी,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं।।
हे मनमोहन थारी,
ओल्यू घणीं आवे,
घड़ी भर भी अब,
रहयो नहीं जावे,
ऐ मारा मन रा जोगी,
क्यूँ नहीं आवे,
थारे आवणा सूं,
थारे आवणा सूं,
घड़ी भर रो साथ करल्याॅं,
थारे आवणा सूं,
घड़ी भर रो साथ करल्याॅं,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं।।
इण नैणा ने,
कुण समझावे,
याद आवे रे म्हारो,
हिवड़ो भर आवे,
कोई नहीं जो म्हारो,
दुखड़ो मिटावे,
म्हारे साॅंवरा ने,
म्हारे साॅंवरा ने,
हिवडे़ रो हार करल्याॅं,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं।।
एक बार आजा प्यारा,
दरश दिखाजा,
बंशी बजा जा म्हारो,
दुखड़ो मिटाजा,
म्हारे साॅंवरा पे,
म्हारे साॅंवरा पे,
तन मन कुरबान करल्याॅं,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं।।
कान्हा आवो तो,
मनड़े री बात करल्याॅं,
थारी बातड़ल्याॅं में जीवड़ो,
निहाल करल्याॅं,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं,
आजा रे आजा रे,
मनमोहन प्यारा
आया सरसी,
मनड़े़ री प्यास को,
बुझाया सरसी,
मनड़े री प्यास को,
बुझाया सरसी,
कान्हा आवो तों,
मनड़े री बात करल्याॅं।।
स्वर – संत श्री अमृतराम जी महाराज।
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