कान्हा बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये,
हमने जिससे भी माँगा,
वो भी तुमसे मांग ले लाए,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये।।
तर्ज – अगर तुम मिल जाओ।
जो तुमसे मांग के खाते,
क्या उनसे मांगने जाना,
जाके किसी और के आगे,
मुझे क्यों हाथ फैलाना,
जो घटती लाज मेरी,
तेरे आगे ही घट जाए,
हमने जिससे भी माँगा,
वो भी तुमसे मांग ले लाए,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये।।
क्यों कही जाने देते हो,
आज कल कम लगे देने,
भिखारी हम ऐसे बाबा,
तुम्ही से आते है लेने,
तुमको सब है पता,
और क्या तुमको समझाए,
हमने जिससे भी माँगा,
वो भी तुमसे मांग ले लाए,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये।।
बात ये निकल पड़ी कान्हा,
तो मुझको कहना पड़ता है,
तुमसे ही मांग के बाबा,
मेरा परिवार चलता है,
माँगे ना तुझसे ‘पवन’,
मांगने को कहाँ जाए,
हमने जिससे भी माँगा,
वो भी तुमसे मांग ले लाए,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये।।
कान्हा बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये,
हमने जिससे भी माँगा,
वो भी तुमसे मांग ले लाए,
ठिकाना बतला दो,
जाये तो कहाँ जाये।।
गायक – राजू मेहरा जी।