कान्हा ने ढूंढवा,
चाली राधिका रानी,
कोई जल जमुना,
कि तीर खड़ा गिरधारी।।
जावो सखी भर ल्यावो,
जल कि झारी,
जल कि झारी,
ना जाने किधर से आय,
खड़ा गिरधारी।।
हाथो में हथफुल,
नाक में बाली,
नाक मे बाली,
जरा हसकर मुखड़े,
बोलो राधिका रानी।।
हरी-हरी चुडियाँ,
बिखर गयी आँगन मे,
बिखर गयी आँगन में,
चुडियाँ का होग्या,
तार तार मधुवन में।।
तबला बाज सांरगी,
ओर सितारा,
ओर सितारा,
कोई नाचे नंन्दजी रा लाल,
गोपियाँ रा प्यारा।।
चंन्द्र सखी भ्रज,
कृष्ण छवी न्यारी,
कृष्ण छवी न्यारी,
कोई जन्म जन्म वर,
पायो राधिका रानी।।
कान्हा ने ढूंढवा,
चाली राधिका रानी,
कोई जल जमुना,
कि तीर खड़ा गिरधारी।।
गायक / प्रेषक – मनोहर परसोया।
कविता साउँण्ड किशनगढ़।