कन्हैया दीन दुखियो के,
सहायक तुम कहाते हो,
दुखी हूँ दीन हूँ मैं भी,
मुझे फिर क्यों भुलाते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
तर्ज – खिलौना जानकर तुम तो।
बड़ाई सुनके रहमत की,
तुम्हारे दर पे आया हूँ,
रहम की भीख दो दाता,
मैं गर्दिश का सताया हूँ,
हमेशा आप ही बिगड़ी में,
आखिर काम आते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
इनायत की नजर करके,
बलाएं टाल दो दाता,
ख़ुशी मेरी भी झोली में,
जरा सी डाल दो दाता,
जहां की नैमते तुम तो,
गरीबों पे लुटाते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
मैं जग से हार कर आया,
तू हारे का सहारा हैं,
तुम्हारे बिन नहीं जग में,
कहीं मेरा गुजारा है,
लगाकर अपने चरणों में,
तरस बेकस पे खाते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
बडी बेदर्द है दुनिया,
भरोसा क्या करूँ इस पर,
जहाँ दिल दे के मैं आया,
वहीँ से आ रहे पत्थर,
‘गजेसिंह’ प्यार का रिश्ता,
तो बस तुम ही निभाते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
कन्हैया दीन दुखियो के,
सहायक तुम कहाते हो,
दुखी हूँ दीन हूँ मैं भी,
मुझे फिर क्यों भुलाते हो,
कन्हैया दीन दुखियों के,
सहायक तुम कहाते हो।।
Singer – Vikas Raghuvanshi