कान्हा रे कान्हा रे ओ प्यारे कान्हा,
श्लोक – सजधज कर बैठ्यो सांवरियो,
यो तो मन्द मन्द मुस्काये,
आओ मिलकर नज़र उतारे,
कहि दुष्टो की नजर ना लग जाये।।
काँन्हा रे काँन्हा रे ओ प्यारे काँन्हा,
काँन्हा रे काँन्हा रे ओ प्यारे कान्हा,
करले अर्ज मेरी मंजूर ओ प्यारे कान्हा।।
मुझे तलब है तेरे दीद की सुनले मुरली वाले,
सुनले मुरली वाले,
सुनले मुरली वाले,
सदियो से हूँ तेरा दीवाना अब तो गले लगाले,
सदियो से हूँ तेरा दीवाना अब तो गले लगाले,
मुझसे तू क्यों इतनी दूर, ओ प्यारे कान्हा।
करले अर्ज मेरी मंजूर ओ प्यारे कान्हा।।
तौबा करली दुनिया से अब पड़ा हूँ पीछे तेरे,
पड़ा हूँ पीछे तेरे,
पड़ा हूँ पीछे तेरे,
तेरे मेरे मेरे तेरे जनम जनम के फेरे,
तेरे मेरे मेरे तेरे जनम जनम के फेरे,
हूँ मैं दुनिया से मजबूर, ओ प्यारे कान्हा।
करले अर्ज मेरी मंजूर ओ प्यारे कान्हा।।
कृष्ण कन्हैया आप हो प्यारे हम तेरे दीवाने,
हम तेरे दीवाने,
हम तेरे दीवाने,
तेरे है हम तेरे है तू माने या ना माने,
तेरे है हम तेरे है तू माने या ना माने,
सारे जग में हो मशहूर, ओ प्यारे कान्हा।
करले अर्ज मेरी मंजूर ओ प्यारे कान्हा।।
पागल तो कुर्बान हुआ है करली तोसंग यारी,
करली तोसंग यारी,
करली तोसंग यारी,
तेरी मेरी यारी है श्री राधा रसिक बिहारी,
तेरी मेरी यारी है श्री राधा रसिक बिहारी,
तेरी मस्ती में रहूँ चूर, ओ प्यारे कान्हा।
करले अर्ज मेरी मंजूर ओ प्यारे कान्हा।।