कर्मो की है ये माया,
कर्मो के खेल न्यारे,
कर्मो से इस जहाँ में,
क्या क्या अजब नज़ारे,
क्या क्या अजब नज़ारे,
कर्मों की है ये माया।।
तर्ज – कभी गम से दिल लगाया।
कर्मो से ही बनी है,
तकदीर आदमी की,
इंसा जहाँ में आता,
इंसा जहाँ में आता,
कर्मों के ही सहारे,
कर्मों के ही सहारे,
कर्मो के ही सहारे,
कर्मों की है ये माया।।
कोई राजा कोई भिक्षुक,
सब कर्मों की है माया,
महलों में कोई रहता,
महलों में कोई रहता,
कोई फिरते मारे मारे,
कोई फिरते मारे मारे,
कोई फिरते मारे मारे,
कर्मों की है ये माया।।
कोई संत कोई डाकू,
कोई छीनें कोई बाँटे,
कोई जीते दुनिया सारी,
कोई जीते दुनिया सारी,
और कोई सबसे हारे,
और कोई सबसे हारे,
और कोई सबसे हारे,
कर्मों की है ये माया।।
मजदूर देखो भूखा,
कोई बिन करे ही खाए,
कोई रौशनी को तरसे,
कोई रौशनी को तरसे,
कोई लूटता नज़ारे,
कोई लूटता नजारे,
कोई लूटता नज़ारे,
कर्मों की है ये माया।।
सब कर्म की है माया,
अब तक कोई ना जाना,
तुम कर्म ऐसे करलो,
तुम कर्म ऐसे करलो,
देवे सभी दुआएं,
देवे सभी दुआएं,
देवे सभी दुआएं,
कर्मों की है ये माया।।
कर्मो की है ये माया,
कर्मो के खेल न्यारे,
कर्मो से इस जहाँ में,
क्या क्या अजब नज़ारे,
क्या क्या अजब नज़ारे,
कर्मों की है ये माया।।
Singer- Prakash Ji Mali
Upload By – Tejshvi Saini
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