करना हो सो करले जल्दी,
मानुष तन अवतार में।
दोहा – घणी गई थोड़ी रही,
या म पलपल जाय,
एक पलक के कारणे,
यु ना कलंक लगाय।
करना हो सो करले जल्दी,
मानुष तन अवतार में,
भले बुरे दो कर्म जग में,
ये ही चलेंगे तेरे संग में।।
जम आवेला गाजता,
तेरे महल मकान में,
द्रव सारा लूट सी,
धड़ छोड़े मैदान में,
करना हो सो करलें जल्दी,
मानुष तन अवतार में।।
भाई बंधू परिवार की,
धरी रहेगी म्यान में,
हिम्मत किसी की नही चले,
काल के घमसान में,
करना हो सो करलें जल्दी,
मानुष तन अवतार में।।
राजा रंक फ़कीर बादशाह,
कोई ना ठहरे इस जहान में,
खोड खाली कर चले,
पहुंचे अपनी धाम में,
करना हो सो करलें जल्दी,
मानुष तन अवतार में।।
शरणा ले गुरुदेव का,
क्या लेगा अभिमान में,
जीवानन्द आनन्द भेला,
सदा मगन है ध्यान में,
करना हो सो करलें जल्दी,
मानुष तन अवतार में।।
करना हो सो करलें जल्दी,
मानुष तन अवतार में,
भले बुरे दो कर्म जग में,
ये ही चलेंगे तेरे संग में।।
गायक / प्रेषक – मोहित मण्डावरिया।
जयपुर।