करते हैं कीर्तन बाबा,
रोज तेरे नाम का,
रोज तेरे नाम का,
सुन लो पवनसुत,
अरज हमारी,
मंगल का दिन हो बाबा,
चाहे शनिवार का,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
तर्ज – सौ साल पहले।
तुम दूर करो बिपदा,
नहीं मुझमें कोई भक्ति है,
नहिं बल बुद्धि मुझ में,
नहीं सेवा की शक्ति है,
महिमा तुम्हारी बड़ी,
सालासर धाम की,
सालासर धाम की,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
माना मेरी नैया,
मुझे खेने नहीं आती,
जाना है पार मुझे,
मेरा कोई नहीं साथी,
जैसे सँवारा कारज,
तूने राजा राम का,
तूने राजा राम का,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
हे संकटमोचन हनुमान,
तेरी महिमा भारी है,
सियाराम काज करने से,
पूजै दुनिया सारी है,
हम भी पुजारी दर के,
वीर हनुमान का,
वीर हनुमान का,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
भर दो मेरी झोली,
बाबा एक आस तुम्ही से है,
दीनों पे नजर होगी,
यही विश्वास तुम्ही से है,
विश्वास टूटे ना,
तेरे ‘परशुराम’ का,
तेरे ‘परशुराम’ का,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
करते हैं कीर्तन बाबा,
रोज तेरे नाम का,
रोज तेरे नाम का,
सुन लो पवनसुत,
अरज हमारी,
मंगल का दिन हो बाबा,
चाहे शनिवार का,
अंजनी के लाल आया,
शरण तुम्हारी।।
लेखक – परशुराम उपाध्याय।
“श्रीमानस-मण्डल” वाराणसी।
9307386438
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Bahut accha
आनंदम अति सुंदर