कौन जाने मैया रानी,
जाने किस पे कृपा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।।
तर्ज – झूठ बोले कौवा काटे।
नर तन देकर धन्य किया,
और धन्यवाद इस वाणी के,
किस्मत में माँ का प्यार मिला,
और दर्शन मैया रानी के,
तन मन अर्पण आत्मसमर्पण,
जो ख़ुशी ख़ुशी कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।
कौन जाने मईया रानी,
जाने किस पे कृपा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।।
दरबार बहुत देखे जग में,
पर ये दरबार अजूबा है,
हर मनोकामना पूर्ण हुई,
जिसने श्रद्धा से पूजा है,
हम क्या जाने इसकी क्षमता,
झोली एक पल में भर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।
कौन जाने मईया रानी,
जाने किस पे कृपा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।।
देने वाले तो लाखो है,
पर तुम्हे भिखारी कर देंगे,
इज्जत से जीने जग में,
फिर कभी नहीं अवसर देंगे,
मांग वहां सम्मान जहाँ,
भव से निहाल कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।
कौन जाने मईया रानी,
जाने किस पे कृपा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।।
कौन जाने मैया रानी,
जाने किस पे कृपा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे,
वो चाहे उजड़े गुलशन को,
हरा भरा कर दे।।
स्वर – मुकेश कुमार जी।