कौन सुनेगा किसको सुनाऊँ,
किसलिये चुप बैठे हो,
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊँ,
किसलिए चुप बैठे हो।।
तर्ज – कौन सुनेगा किसको सुनाऊं।
मेरी हालत देख जरा तू,
आँख उठाकर के बाबा,
मैं तो तेरी शरण पड़ा हूँ,
क्यों तू मुझको बिसराता,
मेरी खता क्या,
इतना बता दो,
किसलिये चुप बैठे हो,
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊँ,
किसलिए चुप बैठे हो।।
क्या मैं इतना जान लूं मुझको,
समझा तूने बेगाना,
वरना दिल के घाव तुझे क्या,
पड़ते बाबा दिखलाना,
दर्द बड़े है अब तो दवा दो,
किसलिये चुप बैठे हो,
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊँ,
किसलिए चुप बैठे हो।।
दुःख में कोई साथ ना देता,
कैसे तुझको समझाऊं,
‘हर्ष’ तेरे बिन कौन सुनेगा,
किसको जाकर बतलाऊं,
अपने भगत से कुछ तो बोलो,
किसलिये चुप बैठे हो,
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊँ,
किसलिए चुप बैठे हो।।
कौन सुनेगा किसको सुनाऊँ,
किसलिये चुप बैठे हो,
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊँ,
किसलिए चुप बैठे हो।।
स्वर – रवि बेरीवाल जी।
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