काया नगर रे ओले डोले,
ज्ञान पपैया बोले,
अरे काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले,
अरे प्रेम पपैया बोले रे,
ए ज्ञान पपैया बोले रे,
हा ज्ञान पपैया बोले रे।।
अरे गगन मंडल में नदियाँ बेवे,
मेला कपडा धोवे रे,
अरे गगन मंडल में नदियाँ बेवे,
मेला कपडा धोवे रे,
बिन साबुन थारो मेल उतरसी,
बिन साबुन थारो मेल उतरसी,
त्रिवेणी रो काई रेवे रे,
हा काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले रे।।
अरे कागज़ री एक जहाज बनायी,
समंदर बीच मे तिराई रे,
अरे कागज री एक जहाज़ बनायी,
समंदर माय तिराई रे,
अरे धर्मी होतो तीर जावेे,
धर्मी होतो तीर जावे,
पापी जग जग बोय रे,
हा काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले रे।।
अरे ज्ञान गाठडी पडी चौक में,
आंधा मूर्ख डोले रे,
अरे ज्ञान गाठडी पडी चौक में,
आंधा मूर्ख डोले रे,
अरे सतगुरु वेतो खोल बतावे,
सतगुरु वेतो खोल बतावे,
बिना गुरू कुण खोले रे,
हा काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले रे।।
अरे सतगुरु म्हारा अंतरयामी,
वारा दर्शन करले रे,
अरे सतगुरु म्हारा अंतरयामी,
वारा दर्शन करले रे,
अरे मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर,
अरे हरि कृपा सुख होवे रे,
हा काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले रे।।
काया नगर रे ओले डोले,
ज्ञान पपैया बोले,
अरे काया नगर रे ओलें डोले,
ज्ञान पपैया बोले,
अरे प्रेम पपैया बोले रे,
ए ज्ञान पपैया बोले रे,
हा ज्ञान पपैया बोले रे।।
गायक – मोईनुद्दीन जी मनचला &
प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818
बहुत ही सुंदर शब्दो मे भजन लिखे इसके लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद