कहता तजुर्बा ये भक्तो का,
दरबार ये न्यारा लगता है,
जिसकी ना करे जग वाले कदर,
वो श्याम को प्यारा लगता है,
कहता तजुर्बा ये भक्तों का,
भक्तों का, भक्तों का, भक्तों का।।
तर्ज – घूंघट की आड़ से।
यहाँ खुशियाँ लुटाता है सांवरिया,
सबकी बिगड़ी बनाता है साँवरिया,
रोतो को हंसाता है साँवरिया,
सोई किस्मत जगाता है साँवरिया,
रातों को मिलती है यहाँ,
भोर की एक रौशनी,
दर दर की ठोकर जो खाता है,
वो श्याम के दिल में बसता है,
जिसकी ना करे जग वाले कदर,
वो श्याम को प्यारा लगता है,
कहता तजुर्बा ये भक्तों का,
भक्तों का, भक्तों का, भक्तों का।।
यहाँ हारों को मिलता ठिकाना है,
इसकी रहमत को जाने जमाना है,
हार के इनके दर तुम भी आ जाओ,
प्यार बाबा का तुमको जो पाना है,
जिंदगी में श्याम हो,
तो पूरी होती हर कमी,
हो जो नज़र में साँवरिया,
दिलचस्प नज़ारा लगता है,
जिसकी ना करे जग वाले कदर,
वो श्याम को प्यारा लगता है,
कहता तजुर्बा ये भक्तों का,
भक्तों का, भक्तों का, भक्तों का।।
न्याय करना मुरारी की फ़ितरत है,
जाने क्या झूठ और क्या हकीकत है,
लाज ‘निर्मल’ की बाबा के हाथों है,
द्वार आए की बाबा रखे पत है,
तन मन धन आत्मा,
हर देन मेरे श्याम की,
लीले पे बैठ मेरा साँवरिया,
तैयार हमेशा रहता है,
Bhajan Diary Lyrics,
जिसकी ना करे जग वाले कदर,
वो श्याम को प्यारा लगता है,
कहता तजुर्बा ये भक्तों का,
भक्तों का, भक्तों का, भक्तों का।।
कहता तजुर्बा ये भक्तो का,
दरबार ये न्यारा लगता है,
जिसकी ना करे जग वाले कदर,
वो श्याम को प्यारा लगता है,
कहता तजुर्बा ये भक्तों का,
भक्तों का, भक्तों का, भक्तों का।।
Singer – Shubham Rupam