खजाना लुटीया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।
दोहा – शब्दा मारा मर गया,
ओर शब्दा छोड्यो राज,
जिन नर शब्द विचारीया,
तो ज्यारा सरीया काज।
खजाना लुटीया रे संतो,
दो नैनो रे बीच,
अरे दो नैनो रे बीच,
खजाना दो नैनो रे बीच,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
ए डूंगर ऊपर डूंगरी रे,
संतो जिन पर बैठा मोर,
अरे डूंगर ऊपर डूंगरी रे,
संतो जिन पर बैठा मोर,
अरे मोर बेचारा काई करे,
अरे मोर बेचारा काई करे,
घर में घुसगीया चोर,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
धोबन कपड़ा धोवती रे,
संतो गो घाट रे बीच,
अरे धोबन कपड़ा धोवती रे,
संतो गो घाट रे बीच,
अरे साबून मछिया ले गई रे,
अरे साबून मछिया ले गई,
धोबन जोवे बाट,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
अरे हुरो पुरो मुख आंख रो रे,
संतो लम्बी मेहल रो,
अरे हुरो पुरो मुख आंख रो रे,
संतो लम्बी मेहल रो,
अरे हाथ मेहन्दी चलकारी,
काजल भरीया नैन,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
अरे आठ हाट री काकडी रे,
संतो नौ हाट रो बीज,
अरे आठ हाट री काकडी रे,
संतो नौ हाट रो बीज,
अरे आप कबीर सा बोलीया,
अरे आप कबीरसा बोलीया रे,
दस दरवाजा बीच,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
खजाना लुटीया रे संतो,
दो नैनो रे बीच,
अरे दो नैनो रे बीच,
खजाना दो नैनो रे बीच,
खजाना लुटिया रे संतो,
दो नैनो रे बीच।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
अच्छा लगा
बहुत ही भावपूर्ण भजन