खम्मा खम्मा खम्मा ओ,
कंवर अजमाल रा,
ख़म्मा ख़म्मा ख़म्मा,
ओ कंवर अजमाल रा,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ ख़म्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
भादरवा री बीज चांदनी,
अजमल घर अवतार लियो,
कुंकुम पगल्या मांड सांवरीयो,
पालनीया मे पोड गयो,
दो दो बालक एक पालनीये,
सगला अचरज करलाया,
द्वारीका नाथ री लीला देखी,
द्वारीका नाथ री लीला देखी,
अजमल मन में हर्षाया,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ ख़म्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
दोई दोई टाबर एक पालनीये,
मैणादे शंका लायी,
ओ कई जादू होयो घर में,
माता मन में गबराई,
मैया ने शंका मे बैठी,
दूध उपनतो दियो उतार,
लीला देखी श्याम सुन्दर री,
लीला देखी श्याम सुन्दर री,
हिवडे आयो हेत अपार,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ ख़म्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
एक दिन बालक रामदेवजी,
हट पकडी है हद भारी,
घोडल्यो मंगवादे मैया,
कर सु मेतो असवारी,
मैणादे जी हुकम कियो जद,
रूपो दरजी आयो पास,
कपड़े रो घोडल्यो किनो ओ,
कपड़े रो घोडल्यो किनो ओ,
रामदेव के लिए तैयार,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ खम्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
घोड़े ऊपर करके सवारी,
बालक एड लगाई है,
कपड़ा रा घोडा ने उडायो,
आकाशा के माई रे,
अजमलजी रूपा दरजी ने,
पकडीयो केद करार दियो,
रामदेव ने याद कियो जद,
रामदेव ने याद कियो जद,
दरजी रो दुखडो हरीयो,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ खम्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
ख़म्मा खम्मां खम्मा ओं,
कंवर अजमाल रा,
ख़म्मा खम्मां ख़म्मा,
ओ कंवर अजमाल रा,
थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ,
गुजरात जियो,
ओ ख़म्मा घणी घणी ख़म्मा,
राजा रामसापीर ने।।
स्वर – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818