खम्मा खम्मा रे म्हारा,
रुणीचे रा धणिया,
भादुड़े रो मैलो दिखाय दीजै,
म्हाने भी रुणीचे बुलाय लीजै।।
तर्ज – उड़ उड़ रे म्हारा।
धोरां माहीं रुणीचो धाम बसायो,
पग पग पर बाबो परचो दिखायो,
आंगणिया में पगल्या मंडवाय दीजै,
म्हाने भी रुणीचे बुलाय लीजै।।
धोली धोली ध्वजा बाबा थारे लहरावे,
छत्तर चढ़ावे कोई निशान चढ़ावे,
भटक्योड़ा न गैलो दिखाय दीजै,
म्हाने भी रुणीचे बुलाय लीजै।।
आंधलिया न आंख्या सु रुणीचो दिखाओ,
हारयोड़ा न बापजी थे हिवड़े स्युं लगाओ,
“केशव” रो मान बढ़ाय दीजै,
म्हाने भी रुणीचे बुलाय लीजै।।
खम्मा खम्मा रे म्हारा,
रुणीचे रा धणिया,
भादुड़े रो मैलो दिखाय दीजै,
म्हाने भी रुणीचे बुलाय लीजै।।
गायक – संदीप पारीक।
– लेखक एवं प्रेषक –
मनीष शर्मा “मोनु”
जोरहाट (आसाम) 9854429898