खाटू गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।
दोहा – खाटू के गाँव में,
बस्या म्हारा घनश्याम,
जिसकी चरण धूलि से,
बन जाता बिगड़ा काम।
खाटू गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे,
प्यारी लगे मोहे प्यारी लगे,
प्यारी लगे मोहे प्यारी लगे,
इस धुल में दुःख गई भूल,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
उड़ उड़ धूल मेरे माथे पे आ गई,
उड़ उड़ धूल मेरे माथे पे आ गई,
हां मैंने तिलक किए भरपूर,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
उड़ उड़ धूल मेरे नैनो में आ गई,
उड़ उड़ धूल मेरे नैनो में आ गई,
हाँ मैंने दर्शन किए भरपूर,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
उड़ उड़ धूल मेरे होंठों पे आ गई,
उड़ उड़ धूल मेरे होंठों पे आ गई,
हां मैंने भजन किए भरपूर,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
उड़ उड़ धूल मेरे हाथों में आ गई,
उड़ उड़ धूल मेरे हाथों में आ गई,
हां मैंने ताली बजाई भरपूर,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
उड़ उड़ धूल मेरे साथ में ही आ गई,
उड़ उड़ धूल मेरे साथ में ही आ गई,
जी मैंने श्याम मनाया भरपूर,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
खाटू गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे,
प्यारी लगे मोहे प्यारी लगे,
प्यारी लगे मोहे प्यारी लगे,
इस धुल में दुःख गई भूल,
धुल मोहे प्यारी लगे,
खाटु गाँव में उड़ रही धुल,
धुल मोहे प्यारी लगे।।
स्वर – कन्हैया मित्तल जी।
Rahul kumar