खाटू की गलियो में,
जिनका आना जाना है,
बाबा की किरपा है,
समझ लो प्रेम पुराना है,
खाटू की गलियों में,
जिनका आना जाना है।।
तर्ज – आदमी मुसाफिर है।
खाटू की गलियां है जिसको प्यारी,
है श्याम से ख़ास रिश्तेदारी,
गम से सदा वो अनजाना है,
गम से सदा वो अनजाना है,
खाटू की गलियों में,
जिनका आना जाना है।।
आता है जो आँखो में आंसू लेके,
बाबा के दर पे माथा जो टेके,
बाबा ने फ़ौरन उसे थामा है,
बाबा ने फ़ौरन उसे थामा है,
खाटू की गलियों में,
जिनका आना जाना है।।
जिस पर मेरा श्याम रहता है ‘मोहित’,
जीवन में होता न फिर वो पराजीत,
खुशियो का मिल जाता नजराना है,
खुशियो का मिल जाता नजराना है,
खाटू की गलियों में,
जिनका आना जाना है।।
खाटू की गलियो में,
जिनका आना जाना है,
बाबा की किरपा है,
समझ लो प्रेम पुराना है,
खाटू की गलियों में,
जिनका आना जाना है।।
गायक / प्रेषक – ऋषभ यगशैनी।
(अयोध्या धाम) 9044466614