खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटु में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।।
हाथो में ना लकीेरे मेरे,
ना कुछ ललाट पे,
तेरी दया से जी रहा,
बाबा मैं ठाट से,
कैसे करू मैं शुक्रिया,
इतना लूटा रहे हो,
खाटु में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।।
बांका ना बाल कर सके,
आँधी हो या तूफान,
मैने जो रख दी आपके,
चरणों में अपनी जान,
क्या अच्छा क्या बुरा प्रभु,
हरपल सीखा रहे हो,
खाटु में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।।
कुछ ऐसा कर दो सांवरे,
छूटे ना तेरा हाथ,
अब हर जनम ‘ललित’ मिले,
बाबा तुम्हारा साथ,
मिलों की दूरिया प्रभु,
पल पल मिटा रहे हो,
खाटु में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।।
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटु में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।।
स्वर – ललित जी सूरी।