ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है,
खाटू में जाके देखो,
फागण में के मजो है,
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है।।
तर्ज – चूड़ी मजा ना देगी।
मेले में भक्त आवे,
सागे निशान ल्यावे,
आवे पगा उघाड़ा,
कई पसरता आवे,
मंदिर शिखर के ऊपर,
मंदिर शिखर के ऊपर,
टांगण में के मजो है,
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है।।
केसर गुलाब घोली,
बाबे सू खेले होली,
गावे बजावे नाचे,
भक्ता की मिलके टोली,
भक्ति में मस्त होकर,
भक्ति में मस्त होकर,
नाचण में के मजो है,
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है।।
साँचो है श्याम बिहारी,
महिमा है ऐ की न्यारी,
‘ताराचंद’ मन की इच्छा,
पूरी वो करसी म्हारी,
बिन मांग्योडो मिले है,
बिन मांग्योडो मिले है,
मांगण में के मजो है,
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है।।
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है,
खाटू में जाके देखो,
फागण में के मजो है,
ज्योति में के मजो है,
कीर्तन में के मजो है।।
स्वर – शुभम रूपम।