कई देवता इस दुनिया में,
सबके रूप सुहाने है,
खाटू में जो सजकर बैठा,
हम उसके दीवाने है।।
तर्ज – चाँद सितारें फूल और।
थोड़ा सा गोरा है,
थोड़ा सा काला है,
मेरा खाटू वाला,
जग से निराला है,
गांव गांव और गली गली में,
गूंजे रोज तराने है,
खाटु में जो सज कर बैठा,
हम उसके दीवाने है।bd।
सरकार अनोखी है,
दरबार अनोखा है,
दिल से रिझा ले तू,
बड़ा अच्छा मौका है,
खाटू जाने की खातिर क्यों,
करता रोज बहाने है,
खाटु में जो सज कर बैठा,
हम उसके दीवाने है।।
सारे कलियुग में श्याम,
बस तेरी चर्चा है,
देवो में देव बड़ा,
तेरा ऊँचा दर्जा है,
‘श्याम’ के होठों पे सांवरिया,
तेरे ही अफसाने है,
खाटु में जो सज कर बैठा,
हम उसके दीवाने है।bd।
कई देवता इस दुनिया में,
सबके रूप सुहाने है,
खाटू में जो सजकर बैठा,
हम उसके दीवाने है।।
गायक – रवि बेनीवाल जी।
प्रेषक – राजकुमार पारीक।