खाटू में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
तर्ज – सावन का महीना।
बड़ी ही निराली है ये,
खाटू नगरिया,
ताता लगा रहता मेरे,
श्याम की दुअरिया,
राजा ना रंक देखे,
ना देखे जात पात,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
श्याम नाम से यहाँ गूंजे,
धरती अम्बर सारा,
आते जाते जय श्री श्याम का,
लगता जय जयकारा,
खाटू की गलियों में,
मिलते है दीनानाथ,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
रींगस से खाटू की,
थोड़ी ही दुरी,
श्याम दरबर में होती,
सबकी इक्छा पूरी,
मन चाहा फल मिलता,
होती किरपा की बरसात,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
‘रूबी रिधम’ तेरी महिमा,
गाते श्याम प्यारे,
रहते तेरी सेवा में,
सांझ सकारे,
दयानिधि मेरे बाबा,
कभी छोड़े ना दीन का हाथ,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
खाटू में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ,
बिगड़ी बनाते सबकी,
देते हारे का वो साथ,
खाटु में विराजे,
मेरे बाबा दीनानाथ।।
Singer – Manoj Aggarwal
Writer – Ruby Garg (Ruby Ridham)