खाटू वाले सांवरिया तुम,
बिगड़ी बात बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
तर्ज – चाँद सी मेहबूबा हो मेरी।
ये नैया मेरी मजधार में है,
इसे आके पार लगा दो ना,
सोई मेरी तक़दीर है श्याम,
तुम सिर पे हाथ फिर दो ना,
तुम सिर पे हाथ फिर दो ना,
मैंने सुना है बिन माझी के,
नैया पार लगाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
खुशियों की क्या उम्मीद करूँ,
जिसने मेरे गम भी नहीं बांटे,
जिस भी दिल में रहना चाहा,
उसमे भी भरे हुए थे कांटे,
उसमे भी भरे हुए थे कांटे,
मुझको गले से लगालो ना बाबा,
जैसे सब को लगाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
तेरे और मेरे रिश्ते में श्याम,
ना कसमे है ना वादे है,
इक भोला भाला मुखड़ा तेरा,
दो नैना सीधे साधे है,
दो नैना सीधे साधे है,
ऐसे कौन अपनाता मुझको,
जैसे तुम अपनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
दर हार के तेरे आ पंहुचा,
मुझे ठुकरा दो या स्वीकारो,
‘राज मित्तल’ की अर्जी इतनी सी,
हारे हुए भक्तो को तुम तारो,
‘आरती शर्मा’ को भी तारो,
यहाँ गिरते को कोई उठाता नही,
तुम पत्थर को पारस बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
खाटू वाले सांवरिया तुम,
बिगड़ी बात बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
स्वर – आरती शर्मा।
Jai shri shyam mere baba
Bahut achha laga ji main katu shyam ka bhakt hoon